सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि जिनके जीवन में पवित्रता और शुद्धता है वहाँ से ही समर्पण,दान और सहभाजन शुरू होता है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन लोग कहा करते थे की पवित्रता को जीवन में प्रवेश कराएँ।
जीवन के आदर्श पर स्थित है हमारे जीवन में नूतन का स्वागत और इस नूतन से जीवन में पैदा होने वाली संभावनाओं का समर्पण, दान और और सहभाजन। सहभाजन का अर्थ होता है जब हम बाँटने में विश्वास और आस्था करने लगते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि जिनके जीवन में पवित्रता और शुद्धता है वहाँ से ही समर्पण,दान और सहभाजन शुरू होता है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन लोग कहा करते थे की पवित्रता को जीवन में प्रवेश कराएँ।
भारत ने आदर्श स्थापित किया, जहाँ अक्षय तृतीया का उद्भव हुआ, इसी दिन कहा जाता है भगवान परशुराम ने जन्म लिया, इसी दिन वेदव्यास जी ने श्री गणपति को महाभारत जैसे विशाल शास्त्र का उल्लेख किया। कहा जाता है की माँ गंगा का अवतरण भी इसी दिन हुआ, इसी दिन तीर्थंकर श्री ऋषभनाथ जी ने अपने प्रथम वर्ष की तपस्या के बाद प्रथम बार गन्ने का रसपान किया था, दिन संत बश्वेशर की जयंती भी मनायी जाती है, और आज ही के दिन से जगन्नाथ पूरी में ठाकुर जी के लिए रथ यात्रा का कार्य शुरू किया जाता है।
आएँ इस दिन जीवन में दान की परम्परा, सहभाजन के स्वाद और समर्पण के आकाश को छुएँ।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि जिनके जीवन में पवित्रता और शुद्धता है वहाँ से ही समर्पण,दान और सहभाजन शुरू होता है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन लोग कहा करते थे की पवित्रता को जीवन में प्रवेश कराएँ।