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मालाओं की पद्धति

मजेदार तथ्‍य यह है कि जब इतिहास ने, जब भारतीय इतिहास ने इस सिविलाईजेशन ने, जब मालाओं की पद्धति लाई थी, जब मालाएं पहनाई जाती है तो बहुत इंट्रेस्टिंग बात होती है। उस समय माला पहनने के लिए आपको माला पहनाने वालों से ज्‍यादा झुकना पड़ता है। सम्‍मान लेने से पहले सम्‍मानित होने वाले को जो सम्‍मान दे रहा होता है, उससे ज्‍यादा झुकना पड़ता है, नम्र होना पड़ता है, तब कहीं जाकर सम्‍मान की वजह बनती है। ये माला की बहुत महान बात रही, हम भूलते चले गए। आज माला पहनने वाले अकड़कर कई मालाएं ले लेते हैं।
--विवेक जी "स्वामी विवेकानंद और भारत" व्याख्यान कार्यक्रम से

भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से विवेक जी ने निमंत्रण पर मुलाक़ात की

राष्ट्रपति से विवेक जी की मुलाक़ात

यह चर्चा बंगलोर में वर्ष २००८ के मध्य में की गयी थी ।ये शब्द माननीय के द्वारा कार्यक्रम के दौरान बोले गए हैं, इन्हें जस का तस रखा गया है

राजनैतिक शून्‍यता

सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि जिनके जीवन में पवित्रता और शुद्धता है वहाँ से ही समर्पण,दान और सहभाजन शुरू होता है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन लोग कहा करते थे की पवित्रता को जीवन में प्रवेश कराएँ।

अक्षय तृतीया

माननीय विवेक जी का सन्देश कर्नाटक में लिए गए राष्ट्र विरोधी निर्णय पर

कर्नाटक के राष्ट्र विरोधी निर्णय पर

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