
जीवन के आदर्श पर स्थित है हमारे जीवन में नूतन का स्वागत और इस नूतन से जीवन में पैदा होने वाली संभावनाओं का समर्पण, दान और और सहभाजन। सहभाजन का अर्थ होता है जब हम बाँटने में विश्वास और आस्था करने लगते हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि जिनके जीवन में पवित्रता और शुद्धता है वहाँ से ही समर्पण,दान और सहभाजन शुरू होता है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन लोग कहा करते थे की पवित्रता को जीवन में प्रवेश कराएँ।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि जिनके जीवन में पवित्रता और शुद्धता है वहाँ से ही समर्पण,दान और सहभाजन शुरू होता है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन लोग कहा करते थे की पवित्रता को जीवन में प्रवेश कराएँ।