मजेदार तथ्य यह है कि जब इतिहास ने, जब भारतीय इतिहास ने इस सिविलाईजेशन ने, जब मालाओं की पद्धति लाई थी, जब मालाएं पहनाई जाती है तो बहुत इंट्रेस्टिंग बात होती है। उस समय माला पहनने के लिए आपको माला पहनाने वालों से ज्यादा झुकना पड़ता है। सम्मान लेने से पहले सम्मानित होने वाले को जो सम्मान दे रहा होता है, उससे ज्यादा झुकना पड़ता है, नम्र होना पड़ता है, तब कहीं जाकर सम्मान की वजह बनती है। ये माला की बहुत महान बात रही, हम भूलते चले गए। आज माला पहनने वाले अकड़कर कई मालाएं ले लेते हैं।
--विवेक जी "स्वामी विवेकानंद और भारत" व्याख्यान कार्यक्रम से