
जीवन नित रोज नया है, पर हम हर एक ख़ुशबू, हर एक सुबह को निहार नहीं पाते, जीवन की अद्भुत ऊर्जा को इतिहास की स्मृति में दबा देते हैं, यहीं से जीवन खंडित होना शुरू होता है।
जीवन की नूतन ऊर्जा को प्रतिदिन स्वीकारने की प्रक्रिया प्रार्थना है। इस प्रार्थना से जीवन का आकाश रंग बिखेर कर हमें पवित्र कर देता है, यही पवित्रता धर्म है !
जय हो !