Admin Jan 12, 20101 minनरेन्द्र दत्त - विवेकानन्दउन कारणों पर जाना बड़ा जरूरी है कि वो कारण क्या थे, जिनके कारण से कहीं कोई नरेन्द्र दत्त विवेकानन्द बनने पर मजबूर हो जाता है,...
Admin Jan 12, 20101 minविवेकानंदजी जैसा चरित्रविवेकानंदजी जैसा चरित्र पैदा होता है, जब जीवन के अंदर प्रतिक्षण सवाल होते हैं और सवालों के प्रति हमारी गहरी आस्था भी होती है। मैं कहूँ ...
Admin Jan 12, 20101 minव्यवस्था के मंदिरआपने देखा लोग मंदिर जाते हैं , हम ऐसे स्थल पर आ रहे हैं, जहां पर प्रभु विराजमान है, जिससे इस पूरी पृथ्वी का, इस पूरे संसार की नियम और...
Admin Jan 12, 20101 minधर्म की यात्राअकेले की यात्रा है, अकेले ही चलना है और जब अकेले चलना है तो 100 क्या कर रहे हैं वो नहीं, हम क्या कर सकते हैं, ये देखने की बात है, ये...
Admin Jan 12, 20101 minधर्म-समाजमैं बिल्कुल विवेकानंद जी की बात से सहमत हूं कि धर्म समाज के प्रति उदासीनता नहीं है, लेकिन साथ ही साथ धर्म और आध्यात्म की बात करने वाले...
Admin Jan 12, 20101 minविवेकानंद जी - राष्ट्रवाद विवेकानंद जी ने राष्ट्रवाद की जब बात की थी, कहा था कि ऐ धर्म में जीने वाले तुम लोग प्रतिक्षण धर्म के आधार से समाज के प्रति नए नियम बनाने...